मगही भाषा

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मगही
बोलने का  स्थान भारत, मगध
तिथि / काल २०११ की जनगणना
क्षेत्र भारत के बिहार और झारखंड, नेपाल
मातृभाषी वक्ता 10 करोड़ (लगभग 30 लाख)[1]
भाषा परिवार
लिपि देवनागरी कैथी
भाषा कोड
आइएसओ 639-3 mag
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मगही या मागधी भाषा भारत के मध्य पूर्व में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। मागधी भाषा से ही भोजपुरी, मैथिली,अंगिका, वज्जिका,खोरठा, भाषा निकला गया हैं.इसका निकट का संबंध भोजपुरी और मैथिली भाषा से है और अक्सर ये भाषाएँ एक ही साथ बिहारी भाषा के रूप में रख दी जाती हैं। दुनिया की सबसे मीठी, मधुर भाषा मगही हैं। इसे देवनागरी अथवा कयथी लिपि में लिखा जाता है। मगही बोलने वालों की संख्या (2002) लगभग 10 करोड़ 30 लाख है। मुख्य रूप से यह बिहार के पटना, राजगीर, नालंदा, जहानाबाद,गया, अरवल, नवादा, शेखपुरा, लखीसराय, जमुई, मुंगेर, औरंगाबाद और झारखंड के पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा, कोडरमा , हजारीबाग , गिरीडीह और देवघर के इलाकों में बोली जाती है।

मगही का धार्मिक भाषा के रूप में भी पहचान है। कई जैन धर्मग्रंथ मगही भाषा में लिखे गए हैं। मुख्य रूप से वाचिक परंपरा के रूप में यह आज भी जीवित है। मगही का पहला महाकाव्य गौतम महाकवि योगेश द्वारा 1960-62 के बीच लिखा गया। दर्जनों पुरस्कारो से सम्मानित योगेश्वर प्रसाद सिन्ह योगेश आधुनिक मगही के सबसे लोकप्रिय कवि माने जाते हैं। 23 अक्तुबर को उनकी जयन्ति मगही दिवस के रूप मे मनाई जा रही है।

मगही भाषा में विशेष योगदान हेतु सन् 2002 में रामप्रसाद सिंह को साहित्य अकादमी भाषा सम्मान दिया गया।

ऐसा कुछ विद्वानों का मानना है कि मगही संस्कृत भाषा से जन्मी हिन्द आर्य भाषा है, परंतु महावीर और बुद्ध दोनों के उपदेश की भाषा मागधी ही थी। बुद्ध ने भाषा की प्राचीनता के प्रश्न पर स्पष्ट कहा है- ‘सा मागधी मूल भाषा’। अतः मगही ‘मागधी’ से ही निकली भाषा है। इसकी लिपि कैथी है।


मगही भाषा का इतिहास।


मगही भाषा दुनिया का सबसे पुराना भाषा हैं मगही बोलने वाले लोग बिहार के साथ साथ अन्य राज्य में भी मगही बोली जाती हैं। विश्व के कई देश जहाँ आज भी वहाँ के लोग मगही बोलते हैं नेपाल, फिजी, वियत, देश शामिल हैं मगही भाषा सम्राट अशोक काल में विश्व में राज्य भाषा हुआ करता था। राष्ट्रीय भाषा के उपाधि मगही थीं सम्राट अशोक के दौरान पर । मगध से लेकर कन्धार तक मगही भाषा बोला जाता था। मगही भाषा के लिपि कैथी हैं । जो आज विश्व से मानचित्र से विलुप्त होने कगार पर हैं। भगवान बुद्ध ने मगही भाषा में अपना प्रथम उपदेश दिया था। और जैन धर्म मे कई धार्मिक ग्रन्थ, पुस्तकें, साहित्य में मगही भाषा में वर्णन मिलता हैं।

भगवान बुद्ध औऱ महावीर स्वामी की भाषा मगधी ही थी। जिसे आज हम सब मगही के नाम से भी जानते हैं।


बंगाल के 7 जिला में मगही भाषा बोला जाता हैं। बंगाल में मगही भाषी लोग लगभग 50 लाख से ऊपर विराजमान हैं।

हावड़ा जिला हुगली जिला उत्तर चोवीस परगना जिला दक्षिण चोवीस परगना जिला कोलकाता जिला


मगही भाषा प्राचीन भाषा हैं। मगही भाषा का अपना इतिहास हैं। मगही का अपना साहित्य हैं। होने के बाबजूद भी आज देश में विलुप्त हैं। इसकी बोलने वाले लोगों की संख्या करोड़ों में हैं। करीब देश में 10 करोड़ लोग इस भाषा को बोलते हैं।


मगही भाषा बहुत ही मीठी बोली हैं। कोलकाता में भी करीब करीब लाखों संख्या मगही भाषी लोग निवास करते हैं।जिनका कोलकाता में भी निवास स्थान बन गया हैं।

इन्हे भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Statement 1: Abstract of speakers' strength of languages and mother tongues - 2011". www.censusindia.gov.in. Office of the Registrar General & Census Commissioner, India. मूल से 16 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2018-12-19.