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Movement Strategy/Recommendations/Evaluate, Iterate, and Adapt/hi

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मूल्यांकन करें, दोहराएं और अनुकूलित करें

क्या

इस सिफारिश के बारे में एक संक्षिप्त वीडियो रिकॉर्डिंग

हम एक वैश्विक आंदोलन के तौर पर अपनी गतिविधियों की समीक्षा, निगरानी करेंगे और उनसे सीखेंगे। इससे हमारी आत्म-जागरूकता सुधरेगी तथा इस बात की सूचना देगी कि हम क्या सुधार तथा विकास कर रहे हैं। शिक्षण तथा मूल्यांकन सभी स्तरों पर होने चाहिए, ताकि सत्यापित किया जा सके कि हमारा काम हमारी कार्यनीति को हासिल करने की तरफ प्रगति कर रहा है या नहीं। प्रक्रियाएं प्रतिभागितापूर्ण मूल्यांकन के सिद्धांतो पर आधारित होंगी तथा उन्हें विभिन्न समुदायों की क्षमताओं के आधार पर अनुकूलित किया जाएगा (जैसे समय-खपाने वाला नहीं, आसानी से कार्यान्वित किया जा सकने वाला, संसाधनों द्वारा समर्थित)।

इक्विटी, विविधता, नवागंतुकों का समावेशन, संसाधनों का वितरण, सामग्री विकास तथा प्रसार, प्रभावशाली विषयों को पहचानना, सामुदायिक स्वास्थ्य, निष्पक्ष अभिशासन, कौशल विकास,भागीदारी, मूलभूत संरचना मापनीयता और स्थिरता, प्रौद्योगिकीय दक्षता, गुणवत्ता, बग-फिक्सिंग, तथा प्लेटफॉर्म  उपयोगिता एवं पहुँच सहित हम इन अनुशंसाओं के प्रासंगिक क्षेत्रों का मूल्यांकन करेंगे। सभी हितधारकों के बीच आत्म-जागरूकता, लचीलापन, तथा जवाबदेही बढ़ाने के लिए परिणामों को पूरे आंदोलन में व्यापक एवं स्पष्ट रूप से संसूचित किया जाना चाहिए, जिससे हम उसके अनुसार अपनी कार्यनीतियों को अनुकूलित कर सकें तथा सुधार के लिए आवधिक समीक्षा कर सकें।

परिवर्तन और कार्य

  • प्रत्येक अनुशंसा तथा आंदोलन के सभी स्तरों (वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय) पर आंदोलन गतिविधि की निगरानी, मूल्यांकन एवं प्रगति को संसूचित करने के लिए वित्तीय तथा मानव संसाधन एवं विशेषज्ञता प्रदान करें।
  • निगरानी, मूल्यांकन तथा शिक्षण के इर्द-गिर्द की प्रक्रियाओं को सभी आंदोलन हितधारकों के बीच वितरित कर दें, ताकि उन सबकी साझा जवाबदेही हो (समन्वय और ज्ञान प्रबंधन सहित) तथा सतत प्रगति सुनिश्चित हो सके।
  • आंदोलन की गतिविधियों की प्रगति की प्रासंगिकता, प्रभावकारिता, दक्षता तथा प्रभाव का मूल्यांकन करें।
    • असल-समय में कार्यनीति अनुशंसाओं के कार्यान्वयन का निरंतर मूल्यांकन करें तथा प्रभावित हितधारकों को बताएं।
    • कार्यनीतिक दिशा के लक्ष्यों पर प्रगति को नापने तथा उसकी निगरानी के लिए सामान्य एवं संदर्भीकृत संकेतकों एवं वांछित प्रभावों को सहयोगी रूप से स्थापित करें। इसमें दूसरी चीजों के अलावा निष्पक्षता, हिमायत, जन नीति, लोगों तथा सामग्री में विविधता, नवागंतुकों के लिए समावेशन और खुलापन, सामुदायिक स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी, प्लेटफॉर्म की उपयोगिता, तथा पहुँच के संकेतक शामिल होंगे।
    • जैसा उचित हो उस प्रकार समुदायों तथा प्रभावित हितधारकों के साथ संयुक्त समीक्षा, चर्चा एवं शिक्षण सुगम बनाएं।
    • जहाँ ज़रूरत हो तथा उचित हो, वहाँ आत्म-मूल्यांकन को पूरा करने के लिए बाहरी, स्वतंत्र अनुसंधान तक पहुँचें (कार्यक्रमों के संबंध में हमेशा प्रतिभागितापूर्ण मूल्यांकन के आधार पर)।
  • सहयोगियों तथा योगदानकर्ताओं के बीच जागरूकता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए प्रत्येक आंदोलन क्षेत्र तथा कार्यनीति अनुशंसा के लिए बड़े पैमाने पर परिणाम साझा और संसूचित करें।
  • प्रौद्योगिकीय विकास, समन्वय, क्षमता निर्माण तथा अभिशासन प्रणालियों के क्षेत्र में प्रक्रिया में परिवर्तनों का पुनरावर्तन करें एवं अनुसंधान तथा जांच के बाद सत्यापन को बढ़ाएं। इसके लिए हमें ये करने की ज़रूरत है:
    • प्रभावित समुदायों/हितधारकों को यह आश्वस्त करने के लिए शामिल करना कि मूल्यांकन से प्राप्त सीख को स्थानीय तथा क्षेत्रीय स्तरों पर उनकी गतिविधियों के बारे में बताने के लिए साझा किया जाता है।
    • कार्यनीति अनुशंसाओं तथा संबंधित गतिविधियों/कार्यक्रमों को कार्यान्वित, निर्धारित एवं संचारित करने के लिए प्रभावित समुदायों/हितधारकों को शामिल करना।
  • नई तथा परिवर्तित स्थितियों एवं चुनौतियों का सामना करने के लिए ऐसी नीतियां और प्रक्रियाएं अपनाना, जो बदलती दुनिया तथा बदलते आंदोलन के मूल्यांकन पर आधारित हों। इसके लिए हमें ये करने की ज़रूरत है:
    • प्रत्येक अनुशंसा को कार्यान्वित करने के लिए हम जिन संरचनाओं तथा दृष्टिकोणों का प्रयोग करते हैं, उनके लचीलेपन एवं अनुकूलनीयता को बढ़ाना।
    • सभी संस्थागत स्तरों पर मूल्यांकन परिणामों को निर्णय-लिए जाने में शामिल करना।
    • वित्तीय तथा कार्यात्मक ज़िम्मेदारियों के साथ आंदोलन के हितधारकों को योजना तथा बजट के बारे में सूचित करने के लिए मूल्यांकन परिणामों का प्रयोग करना।
    • बाहरी दशाओं (सामाजिक-राजनैतिक, कानूनी, पर्यावरणीय आदि) की अपेक्षा करने के लिए समीक्षा करना, यदि हो सके तो उनपर काम करें तथा परिवर्तन के अनुसार अनुकूलित करें।

तर्काधार

जबकि हमारा आंदोलन जैविक तौर पर कई क्षेत्रों में विकसित हो चुका है, कार्यनीतिक दिशा हासिल करने के हमारे प्रयासों में ऐसी कई चुनौतियाँ हैं जो बाधक हैं। आज तक, आंदोलन हितधारकों का मूल्यांकन करने तथा उनसे सीखने के प्रयास तदर्थ और अनिरंतर रहे हैं, जिसमें अक्सर स्थानीय अनुकूलनीयता तथा उपयोगी ज्ञान प्रबंधन की कमी रही है। सामूहिक जवाबदेही तथा एक दूसरे से सीखने के लिए यह एक चुनौती है। कार्यनीतिक दिशा के लिए नई सोच, कौशल तथा संरचनाएं चाहिए, जिससे प्रमाण-आधारित बेहतरीन, बढ़िया एवं उभरती हुई प्रथाएं निर्मित हो सकें। दीर्घकालिक तौर पर, ये प्रथाएं कार्यनीतिक दिशा की तरफ हमारी गतिविधियों की प्रगति या विफ़लता को प्रलेखित, मूल्यांकित करेंगी, तथा उनसे सीखेंगी। किसी भी संरचनात्मक योजना द्वारा मौजूदा बुनियादी ढांचे का पुनरावर्ती रूप से मूल्यांकन करने, आंदोलन को अपनी ज़रूरत बताने, सीखने और लचीलेपन के लिए विकसित होने और भविष्य के लिए तैयार होने के लिए प्रक्रिया की ज़रूरत होती है।